लेखनी कहानी -01-Dec-2022
Da
डर तब महसूस किया है
जब काली अंधेरी रातों में अकेले जाना पड़ता है
सांस हलक में अटक जाती है
जब पीछे से कोई आहट सुनाई देती है
कदम और तेज़ी से मंजिल की ओर बढ़ने लगते है
धड़कनें बेकाबू हो जाती है तब
जब कोई दरिंदा औरत की आबरू पर हावी हो जाता है
डर तब रोंगटे खड़े कर देता है
जब कोई दामिनी बेमौत मारी जाती है
तब ये डर मौत बन के जीवन पर भरी हो जाता
Gunjan Kamal
05-Dec-2022 07:35 PM
बहुत खूब
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Mahendra Bhatt
02-Dec-2022 09:09 AM
बहुत खूब
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Ajain_words
02-Dec-2022 08:52 AM
Awesome
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